Vodafone Idea के शेयर 20% तक लुढ़के, अब निवेशक क्या करें? जानें अनिल सिंघवी की राय
Vodafone-Idea Share Price: कंपनी चाहती थी कि AGR बकाया फिर से कैलकुलेट हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया. इसका मतलब है कि अब कंपनी को पूरा बकाया AGR चुकाना होगा.
Vodafone-Idea Share Price: टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक बुरी खबर के बाद गुरुवार (19 सितंबर) को Telecom Stocks खासकर Vodafone-Idea और Indus Tower में बड़ी गिरावट देखी गई. Vodafone Idea 20% गिरकर 10.05 रुपये के लो पर आ गया. दरअसल AGR बकाए के फैसले पर टेलीकॉम कंपनियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल क्यूरेटिव याचिका खारिज हो गई.
क्या हुआ Voda Idea में?
सुप्रीम कोर्ट ने AGR मामले में याचिका खारिज कर दी. कंपनी चाहती थी कि AGR बकाया फिर से कैलकुलेट हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया. इसका मतलब है कि अब कंपनी को पूरा बकाया AGR चुकाना होगा. इन क्यूरेटिव याचिकाओं में कंपनियों ने दावा किया था कि एजीआर बकाया राशि तय करने में कई गलतियां थीं, जो कुल एक लाख करोड़ रुपये से अधिक थीं.
Voda Idea में अब क्या करें?
वोडा को 30-40 हजार करोड़ रुपये की राहत की उम्मीद थी. कंपनी को प्रति शेयर 5-6 रुपये का फायदा हो सकता था. बाजार इसे ही एडजस्ट कर रहा है. 30 अगस्त की सुनवाई के दिन से ही शेयर लगातार गिरा है. किसी को तो अंदाजा था कि फैसला कंपनी के पक्ष में नहीं आएगा. गोल्डमैन ने भी ₹2.5 के साथ बिकवाली की राय दी थी. AGR की वजह से बनी तेजी खत्म हो गई है. शेयर अब ₹11 के FPO प्राइज पर आ गया है. यहां से कंपनी के परफॉर्मेंस पर शेयर की चाल निर्भर करेगी. FPO इन्वेस्टर्स को अभी भी नुकसान नहीं है. जिन्होंने ₹15-17 की रेंज में लिया है वो HOLD कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
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सुप्रीम कोर्ट ने समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया पर अपने पहले के फैसले पर पुनर्विचार करने की टेलीकॉम कंपनियों की याचिका को खारिज कर दिया. न्यायालय ने पहले के फैसले को बरकरार रखा, जिससे दूरसंचार कंपनियों को अपने एजीआर बकाया चुकाने की बाध्यता पर बल मिला. यह फैसला उद्योग के लिए एक झटका है, जिसने एजीआर गणना द्वारा लगाए गए भारी वित्तीय बोझ से राहत मांगी थी. यह निर्णय नियामक आवश्यकताओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने और क्षेत्र के वित्तीय स्वास्थ्य को बनाए रखने पर न्यायालय के सख्त रुख को दिखाता है.
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने दूरसंचार कंपनियों की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें क्यूरेटिव याचिकाओं को खुली अदालत में सुनवाई के लिए लिस्ट करने का अनुरोध किया था. क्यूरेटिव या सुधारात्मक याचिका सुप्रीम कोर्ट में अंतिम पड़ाव होती है, उसके बाद इस अदालत में गुहार लगाने का कोई कानूनी रास्ता नहीं होता. इस पर आम तौर पर बंद कमरे में विचार किया जाता है, जब तक कि प्रथम दृष्टया फैसले पर पुनर्विचार के लिए मामला नहीं बन जाता. पीठ ने 30 अगस्त को आदेश सुनाया था जो गुरुवार को सार्वजनिक किया गया.
03:21 PM IST